*फिर वही चाल, BSNL Employees Union का VRS पर फिर बबाल I*
*कर्मचारियों को भड़काते रहना, यही है BSNLEU की असली पहिचान II*
BSNL Employees Union के जनरल सेक्रेटरी श्री पी. अभिमन्यु ने BSNL में दूसरी VRS को लेकर एक लेख लिखा है, और BSNL मैनेजमेंट के तथाकथित दस्तावेज का हवाला देकर दावा किया है कि, BSNL प्रबंधन की अभी और पैंतीस हजार कर्मचारियों को VRS देने की योजना है I उन्होंने यह भी लिखा कि VRS के विरोध में BSNLEU ने देशभर में काले बैज पहने और भोजनावकाश में प्रदर्शनों का आयोजन किया, जिसके कारण (दूसरी यूनियनों के) कुछ नेता घबरा गए, तथा BSNL मैनेजमेंट को भी अपने कदम पीछे खींचने पड़े, और दिनांक 17/08/2022 को उप मुख्य श्रम आयुक्त के साथ हुई सुलह बैठक में यह कहना पड़ा कि वर्तमान में BSNL में VRS के लिए के लिए कोई प्रस्ताव नहीं है I
BSNL सभी के कर्मचारी भाई-बहिन यहां जरा सोच-समझकर गौर करें, कि VRS के विरोध में BSNLEU ने देशभर में काले बैज पहने, भोजनावकाश में प्रदर्शनों का आयोजन किया, जिसके चलते (दूसरी यूनियनों के) कुछ नेता तो घबरा ही गए, BSNL मैनेजमेंट को भी अपने कदम पीछे खींचने पड़ गए, और दिनांक 17/08/2022 को उप मुख्य श्रम आयुक्त के साथ हुई सुलह बैठक में मैनेजमेंट को यह कहना पड़ गया कि वर्तमान में BSNL में VRS के लिए के लिए कोई प्रस्ताव नहीं है, BSNLEU का यह कहना कितना हास्यस्पद, कितना असत्य, कितना भ्रामक और अविश्वसनीय है I
अभी BSNL के कर्मचारी इस बात को भूले नहीं हैं, कि तीन साल पहले हुए मेम्बरशिप वेरिफिकेशन का चुनाव BSNL Employees यूनियन ने VRS पर झूठ बोलकर, असत्य भाषण बाजी करके, कर्मचारियों को गुमराह करके और VRS को CRS (कम्पलसरी रिटायरमेंट फ्रॉम सर्विस) बताकर भ्रामक प्रचार के जरिये से ही जीता था I
मेजोरिटी यूनियन के पिछले चुनावों में BSNL Employees यूनियन के नेताओं ने VRS का पुरजोर विरोध किया था, कहा था कि यह स्वैच्छिक रिटायरमेंट नहीं बल्कि जब्री अर्थात जबरदस्ती दी जाने वाली रिटायरमेंट है, लेकिन जब VRS लेने के लिए फॉर्म भरने की बारी आई, तब VRS के विरोध में प्रचार करने वाले BSNL Employees Union के वर्किंग नेतागण भी VRS लेने वालों में सबसे आगे थे I VRS का दिन-रात भारी विरोध करने वाली BSNLEU, VRS को रोक नहीं पाई, और 80 हजार कर्मचारी VRS ले गए I वही BSNL Employees Union आज कह रही है, कि उसने ब्लैक बैजेज लगाये, और मैनेजमेंट डर गई I गनीमत है कि अभी इन्होने ये नहीं कहा कि सरकार डर गई, लेकिन निश्चित ही अपनी पुरानी कम्युनिस्ट आदत के अनुसार अब चुनाव प्रचार के दौरान ऐसा भी बोलने लगेंगे, लेकिन सच्चाई तो ये है कि जनवरी 2020 में VRS लेने वाले 80 हजार कर्मचारियों ने भी इनकी बातों पर विश्वास नहीं किया था, और आज के कर्मचारी भी इन पर विश्वास नहीं करेंगे I
थोड़ी देर के लिए अगर मान भी लिया जाय कि BSNL मैनेजमेंट का, 35 हजार कर्मियों को VRS देने का प्रस्ताव है, तो क्या BSNL Employees Union और NFTE के ये चिल्ला-चिल्लाकर भाषण देने वाले रिटायरी नेता गण आज इस स्थिति में हैं, कि वे VRS रुकवा देंगे ? याद कीजिये जब BSNL में 3 साड़े तीन लाख कर्मचारी हुआ करते थे, ये तब BSNL और बीएसएनएल कर्मचारियों का भला नहीं करवा सके, तो भला अब क्या भला कर लेंगे I कर्मचारियों की समस्याएं सुलझाने में नाकाम BSNL Employees Union को अच्छी तरह से मालूम हो चुका है कि जमीन उनके पैरों के नीचे से बुरी तरह धंस चुकी है, इसलिए इसके नेतागण गुमराह करने और भड़काने वाली उन्हीं ऊल-जलूल हरकतों पर उतर आए हैं, जिनके लिए ये जाने जाते हैं I यदि इनमे इतना ही दम है, कि इनके काले बैज लगाने और लंच ऑवर में प्रदर्शन मात्र से ही BSNL मैनेजमेंट डरकर बैक फुट पर आ गई है, तो ये सूरमा आज तक पे रिवीजन क्यों नहीं करवा पाए हैं, साथ ही जो अनेक मसले BSNL और BSNL कर्मचारियों के समक्ष प्रश्न चिन्ह बनकर खड़े हैं, उनका हल क्यों नहीं निकाल पाए हैं ? उत्तर एक ही है कम्युनिस्ट यूनियनों का दोगला चेहरा सब जगह उजागर हो गया है I
इसलिए भारतीय टेलिकॉम एम्प्लाइज यूनियन (BTEU, BSNL), आप सभी कर्मचारी भाई-बहिनों से अनुरोध करती है कि प्लीज जागिये ! प्लीज अपने और BSNL दोनों के हित में आने वाली 12 अक्टूबर को होने वाले मेजोरिटी यूनियन के चुनावों में सोच समझकर अपना वोट दीजिए I BTEU (बीएसएनएल) आज आपके समक्ष एक मात्र मजबूत एवं समस्याएं सुलझाने में सक्षम यूनियन है, जिसका नेतृत्व BSNL में कार्यरत (वर्किंग) एम्प्लाइज के हाथों में है I BSNL Employees Union और NFTE को पिछले 22 सालों से आजमा रहे हैं, और हर बार छले जा रहे हैं, इसलिए समय है, बदलाव का, BTEU (BSNL) का भरपूर साथ देने का, प्रत्येक कर्मचारी भाई-बहिन को समझाने का और BTEU (BSNL) को एकमुश्त भारी वोटों से विजयी बनाने का I